ਇਹ ਹਾਇਕੁ ਮੈਂ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਲਿਖੇ ਸਨ ਜੋ 24 ਅਪ੍ਰੈਲ 2012 ਨੂੰ ਹਿੰਦੀ ਹਾਇਕੁ ਨਾਂ ਦੇ ਵੈਬ ਰਸਾਲੇ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਹੋਏ।
ਲਿੰਕ ਵੇਖਣ ਲਈ ਇੱਥੇ ਕਲਿੱਕ ਕਰੋ।
1.
सुलगे आज
मेरे सीने में आग
बताऊँ किसे
2.
कट रहा क्या
यूँ मेरे अंदर से
मुझे न पता
3.
ये दिल कटा
या थे मेरे जज़्बात
कभी न जाना
वरिन्दरजीत
ਹਿੰਦੀ ਹਾਇਕੁ ਵੈਬ ਰਸਾਲੇ 'ਤੇ ਮਿਲ਼ੇ ਸ਼ਬਦ ਹੁਲਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਆਪ ਨਾਲ਼ ਸਾਂਝਾ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਓਥੇ ਇਹ ਹਾਇਕੁ ਜੁਗਲਬੰਦੀ ਦੇ ਰੂਪ 'ਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਨ।......
ReplyDelete1.ਗੁਲਸ਼ਨ ਦਿਆਲ- very Nice
2.ਰਮਾ ਦਿਵੇਦੀ -जुगलबंदी बहुत भावपूर्ण बन गई है |वरिन्दरजीत जी और हरदीप जी को बहुत -बहुत बधाई ….जुगलबंदी चालू रखिए…..
3. ਪ੍ਰਿਅੰਕਾ ਗੁਪਤਾ - वरिन्दरजीत जी के हाइकु तो अच्छे हैं ही, हरदीप जी, आपकी जुगलबन्दी ने चार चाँद लगा दिए…। आप दोनो को बधाई…।
4.ਦਿਲਬਾਗ ਵਿਰਕ - Nice
5. ਰੇਨੂੰ ਚੰਦਰਾ - अति सुन्दर है ये जज़्बात
6. ਰਵਿੰਦਰ ਪ੍ਰਭਾਤ - गागर में सागर है !
7. ਰਵੀਰੰਜਨ -हरदीप जी,आपने वरिन्दरजीत सिंह बराड़ जी के हाइकु मय जज़्बात भरे ख्यालों का बहुत ही उम्दा एवं तज़ुरवा भरा हाइकु मय सलाह प्रस्तुत किया है|
यह जुगलबन्दी वाकइ एक नया प्रयोग है| इसे जुगलहाइकुबन्दी भी कहा जा सकता है|
8. ਰਿਤਾ ਸ਼ੇਖਰ ਮਧੂ - बहुत भावपूर्ण हाइकु आप दोनों के…आप दोनों को बधाई|
9. ਉਦੈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ - बहुत भावपूर्ण हाइकु आप दोनों के…आप दोनों को बधाई
10. ਰਮੇਸ਼ਵਰ ਕੰਬੋਜ ਹਿੰਮਾਂਸ਼ੂ- वरिन्दरजीत बराड़ जी आपका स्वागत है । हम आशा करते हैं कि आप हिन्दी हाइकु से जुड़े रहेंगे और आने वाले समय में अपने भावों और विचारों को हम सबके साथ साझा करेंगे ।
11. ਡਾ. ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ -मुझे यह बताने में बहुत खुशी हो रही है कि आप सभी के प्रोत्साहन से कल की (24 अप्रैल ) पोस्ट 194 लोगों ने देखी । इसका श्रेय जाता है केवल अच्छा लिखने वालों को,अच्छा सोचने वालों को और सबके प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखने वालों को।