स्त्री की कोख से जन्म लेने वाला पुरुष स्त्री को ही क्यों अपमानित करता आ रहा है ? स्त्री के लिए सम्मान की भावना कहाँ लुप्त हो गई ? ये समाज कब बदलेगा ? बस यही सवाल मैं आज आप सबसे पूछना चाहता हूँ ।
1.
न महफूज़
इज्जत बेटियों की
मेरे देश में
2
जख्मी मासूम
क्रूरता का तांडव
मौन थे सब
3
झेलती रहीं
द्रौपदी से दामिनी
वही वेदना
4
हुआ है अस्त
सभ्यता का सूरज
कैसा समाज
5
अब तो जागो
बदलो समाज को
पहले सोच
हिंदी हाइकु पर ये हाइकु
8 फरवरी को प्रकाशित हुए
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ਬਹੁਤ ਹੀ ਡੂੰਘੇ ਅਰਥ ਤੇ ਭਾਵ ਵਾਲੇ ਹਾਇਕੁ । ਸਾਰੇ ਹਾਇਕੁ ਇੱਕ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਧ ਕੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਹਾਇਕੁਆਂ ਦੁਆਰਾ ਓਸ ਦਿਨ ਦੀ ਘਿਨਾਉਣੀ ਘਟਨਾ ਦਾ ਸਮੁੱਚਾ ਵਰਣਨ ਅੱਖਾਂ ਸਾਹਮਣੇ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ReplyDeleteਬਿਲਕੁਲ ਸਹੀ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਸੋਚ ਬਦਲਣ ਦੀ ਬੜੀ ਵੱਡੀ ਲੋੜ ਹੈ ।
1.
ReplyDeleteअर्थपूर्ण हाईकु…
~सादर!!!
By: anita on फ़रवरी 9, 2013 ; at 1:08 पूर्वाह्न
2.
kash ke log ab bhi hosh me aajayen
bahut sunder haiku
rachana
By: rachana on फ़रवरी 9, 2013 ; at 1:41 पूर्वाह्न
3.
Samayik Haiku…dharatal par bahut kuchh karne kee jaroorat..sahitya ko bhee is disha men modna hoga taaki log jaagen !
By: सुभाष लखेड़ा on फ़रवरी 9, 2013 ;at 3:21 पूर्वाह्न
4.
झेलती रहीं
द्रौपदी से दामिनी
वही वेदना
सार्थक, सामयिक भाव| बधाईआपको |
अब तो सब को कलम उठाने पड़ेगी |
शशि पाधा
By: Shashi Padha on फ़रवरी 9, 2013 ;at 5:01 पूर्वाह्न
5.
अब तो जागो
बदलो समाज को
पहले सोच …..सार्थक हाईकु
By: Dr. anita Kapoor on फ़रवरी 9, 2013 ;at 8:57 पूर्वाह्न
6.
ReplyDeleteसारपूर्ण हाइकु…आपको बधाई।
By: कृष्णा वर्मा on फ़रवरी 9, 2013 ;at 3:08 अपराह्न
7.
झेलती रहीं
द्रौपदी से दामिनी
वही वेदना…
बिलकुल सही…
By: प्रियंका गुप्ता on फ़रवरी 9, 2013 ;at 4:26 अपराह्न
8.
झेलती रहीं
द्रौपदी से दामिनी
वही वेदना
वास्तविक्ता से जुडे हाइकु । बहुत सारपूर्ण । आप को बधाई।
By: सीमा स्मृति on फ़रवरी 10, 2013 ;at 2:34 अपराह्न
9.
kadve sach ko ujagar karte haiku….
By: Dr.Bhawna Kunwar on फ़रवरी 11, 2013 ;at 2:41 अपराह्न